आर्य और काली छड़ी का रहस्य-1
आर्य की सभी कहानियों की क्रमागत लिस्ट इस प्रकार से है। इसमें से जो कहानियां प्रकाशित नहीं हुई है वह धीरे-धीरे प्रकाशित हो जाएगी। पुराने पाठक जो इनमें से कुछ कहानियां पढ़ चुके हैं, उन्हें कुछ के बारे में पता है। उनके लिए पुरानी कहानियां पढ़ना अनिवार्य नहीं है। जबकि नई कहानियों को पढ़ना उनकी स्वेच्छा पर है। सभी कहानियां सीक्वेंस के अनुसार है।
1. आर्य और काली छड़ी का रहस्य
2. आर्य और सपनों का द्वंद
3. आर्य और शैतानी तलवार का रहस्य
4.. आर्य और कालचक्र की शक्ति ( कालचक्र इवेंट)
5. आर्य और चार जादुई सुनहरे पन्ने
6. आर्य और अंधेरे का योद्धा
7. आर्य और आयामी दरवाजा
8. आर्य और उसकी आखिरी लड़ाई-1
9. आर्य और उसकी आखिरी लड़ाई-2
10. आर्य और उसकी आखिरी लड़ाई-3
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आर्य और काली छड़ी का रहस्य
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अंधेरी शैतानी नुमाइंदे बड़ी शिद्दत से अपने आखिरी काम को निपटाने में लगे हुए थे। इस आखरी काम को निपटाते ही भविष्यवाणी की सभी मुसीबतें खत्म हो जाएंगी।
वह लगातार एक बुड्ढे आदमी का पीछा कर रहे थे जो 4 साल के बच्चे को बचा कर भाग रहा था। वह 4 साल का बच्चा उनकी और भविष्यवाणी की आखिरी मुसीबत था।
अंधेरे के नुमाइंदे जिनका आकार देखने में काफी डरावना था। उनका चेहरा भी नहीं था। वो काले कपड़ों में लिप्त थे। और दौड़ते वक्त उछल रहे थे। उनकी संख्या तकरीबन 20 के पास थी। सभी काफी खुश दिखाई दे रहे थे।
अंधेरे से भरे जंगल में उनकी यह खुशी उनके शोरगुल और किसी शिकारी को घेरने वाली रणनीति से ही साफ झलक रही थी।
बूढ़ा आदमी जो जंगल में बच्चे की जान बचाता हुआ दौड़ रहा था उसका नाम विष्णुवर था। हड्डियों के पिंजर जैसा शरीर, बूढ़ी आंखें, लंबी सफेद दाढ़ी, जान ना होने के बावजूद सब कुछ लगा कर तेज भागना उसकी मजबूरी थी।
उसके हाथों में जो 4 साल का बच्चा था उसकी कहानी काफी लंबी थी। इतनी लंबी कहानी जिसे पूरा होने के लिए अध्याय नहीं बल्कि महा ग्रंथ की आवश्यकता थी। वह बच्चा पैदा होते ही सबके आकर्षण का केंद्र बन गया था। खासकर शैतानी शक्तियों के आकर्षण का केंद्र। भविष्यवाणी में कहा गया था कि यह बच्चा 21 साल का होने के बाद अंधेरे के शहंशाह को खत्म कर सकता है। इसीलिए सभी अंधेरे के नुमाइंदे हाथ धोकर उसके पीछे पड़े थे। अंधेरे का शहंशाह अभी जमीन पर आया ही नहीं था और उसके मौत की तैयारियां पहले से ही हो गई। कोई अपने आका को इस तरह से मरने नहीं दे सकता था। इसलिए अंधेरे के छह सिपेहसालार, जिनमें शैतान तक शामिल थे उन्होंने बच्चे को खत्म करने के लिए अपनी सेना को यह काम सौंप दिया। बच्चा पैदा होने के बाद ही सेना की तलाश शुरू हो गई थी।
अंधेरे से लड़ने वाला एक समूह बच्चे की जान की हिफाजत करने के लिए पूरी तरह से जुट गया था। लेकिन उनकी संख्या कम थी और अंधेरे की संख्या ज्यादा। इसलिए बच्चे की हिफाजत के लिए उसे दुनिया के दूर कोने में भेज दिया गया। वहां दूर कोने में बच्चा 4 साल तक तो हिफाजत से रहा। मगर इसके बाद अंधेरे के नुमाइंदों ने उसे ढूंढ लिया। उसे ढूंढने के बाद वह बच्चे पर हमला करने के लिए टूट पड़े, और यहां यह 60 साल का बुड्ढा विष्णुवर उसे बचाने के लिए आगे आ गया।
यह कहानी का हल्का फुल्का सारांश था जो 4 साल के बच्चे की कहानी को शुरू करने के लिए काफी था। लेकिन इसे एक आंशिक शुरुआत के तौर पर ही देखा जा सकता है। ना की पूरी कहानी।
जल्द ही बुडा दौड़ते दौड़ते एक ऐसी जगह पर आ रुका जहां आगे किसी भी तरह का रास्ता नहीं था। वह एक खाई वाले हिस्से के पास था। पीछे आ रहे अंधेरे के नुमाइंदों की खुशी और ज्यादा बढ़ गई।
वह आकर उसके आसपास जमा हो गए। उनमें से कोई एक अंधेरे का नुमाइंदा अपनी कर्कश आवाज में बोला “आर्य...को हमारे हाथों में सौंप दो। हम तुम्हारी जिंदगी बक्श देंगे।”
विष्णुवर ने तुरंत खाई की तरफ देखते हुए जवाब दिया “मैं ऐसा कभी नहीं करूंगा। ना आज ना कल। इसकी बजाय मुझे मरना मंजूर है। यह 4 साल का बच्चा सिर्फ तुम लोगों का अंत नहीं, बल्कि तुम लोगों की पूरी दुनिया का अंत है। वह अंत जिसके लिए हम सैकड़ों सालों से लड़ाई लड़ते आ रहे हैं। न जाने इस लड़ाई में हमने अपने कितने साथियों को खोया। इस दुनिया में कितनी मुसीबतों का सामना किया। अब यह बच्चा इसका अंत है... और यह होकर रहेगा...”
“पागल मत बनो ना समझ....” सामने से कहा गया “अगर तुम खाई से कुदोगे तो बच्चे के साथ-साथ तुम्हारी मौत भी होगी। इसमें हमारा अंत नहीं बल्कि तुम्हारा अंत है।”
विष्णुवर को यह सुनकर बिल्कुल भी डर नहीं लगा। उल्टा उसने एक मीठी मुस्कुराहट दिखाई। मुस्कुराते मुस्कुराते वह पीछे की ओर जाने लगा। सभी अंधेरे के नुमाइंदे धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगे। वह इस बात से खौफ खा रहे थे कि कहीं सामने वाला बुड्ढा बच्चे को लेकर खाई में ना कुद जाए। लेकिन इसमें डरने वाली बात नहीं थी। खाई में कूदने से एक तरह से उनका ही फायदा होगा। उनकी आखिरी मुसीबत भी खत्म हो जाएगी।
अचानक अंधेरे के नुमाइंदों ने बूढ़े पर झपट्टा मारने की कोशिश, मगर बूढ़ा तेजी से खाई में कूद गया। झपटा मार रहे अंधेरे के नुमाइंदों के हाथ खाली रह गए। सभी खाई के किनारे आकर अंदर की ओर देखने लगे। रात के अंधेरे में दूर-दूर तक कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था। खाई के अंदर भी कुछ भी नहीं। इस बात का आकलन करना मुश्किल था कि खाई कितनी गहरी है। लेकिन यह भी सच था खाई में कूदने वाला कभी जिंदा नहीं बचता।
अंधेरे के नुमाइंदों में से कोई एक बोला “मुझे नहीं लगता वह दोनों बचे होंगे। भविष्यवाणी में जिसे शैतान की मौत कहां गया था वह खुद मर गया। इसी के साथ हमारी आखिरी मुसीबत और भविष्यवाणी का यही अंत होता है। अब हमें बाकी के बचे हुए काम करने चाहिए। शहंशाह के आने की स्वागत की तैयारियां करनी चाहिए। जाकर आश्रम से दो छड़ियों को हासिल करते हैं, और शहंशाह की दुनिया का रास्ता खोलते हैं। ”
इतना कहकर सभी अंधेरे के नुमाइंदे धीरे-धीरे वहां से छूमंतर होने लगे। हर कोई यह सोच चुका था कि अब यही अंत है। लेकिन इतिहास गवाह है...। जिसे अंत कहा जाता है वह एक नई शुरुआत होता है।
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सभी छूमंतर हुए अंधेरे के नुमाइंदे बर्फीली जगह पर एक-एक कर प्रकट हुए। लेकिन प्रकट होते ही उनके सामने का जो नजारा था, उन्हें उस पर यकीन नहीं हो रहा था। उन के ठीक सामने पूरे आश्रम के इर्द गिर्द रोशनी का एक गोल चक्कर बन रहा था। एक ऐसा गोल चक्कर जिसके संपर्क में आते ही अधेंरे के नुमाइंदे कि सेना खत्म हो रही थी।
एक अंधेरे का नुमाइंदा भागता हुआ प्रकट होने वाले अंधेरे के नुमाइंदों के पास आया और बोला “गड़बड़ हो गई। काफी बड़ी गड़बड़। किसी ने शैतानों की छड़ी का इस्तेमाल किया है। उसके बेशुमार ताकत को वह अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। उसकी वजह से सभी अंधेरे के नुमाइंदे उनके किले में कैद होते जा रहे हैं। हम हार चुके हैं।”
यह सुनते ही सभी को मानो सदमा सा लगा “मगर यह नहीं हो सकता। हम अपनी जीत के इतने करीब आकर हार नहीं सकते। हमें अंधेरे के शहंशाह को इस दुनिया में लेकर आना है।”
“लेकिन अब यह संभव नहीं। कभी भी संभव नहीं। अंधेरे के शहंशाह को दुनिया में लाने के लिए हमें दोनों ही छड़ों की आवश्यकता है। मगर वह आश्रम की चारदीवारी के अंदर से बिल्कुल सुरक्षित है। हम उसे ना तो हासिल कर सकते हैं, नाही शहंशाह को कभी वापस बुला सकते हैं।”
यह सुनकर यहां छोटे से समूह के मुखिया ने कहा “ अगर ऐसा है तो हमारा बस आज से एक ही मकसद होगा... उन दोनों ही छड़ों को हासिल करना। साम दाम दंड भेद.... हम कैसे भी करके उन्हें हासिल करेंगे। कैसे भी करके। लेकिन इसके लिए हमें इंतजार करना होगा। एक सही मौके ....और सही वक्त का।”
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Pratikhya Priyadarshini
16-Sep-2022 09:13 PM
Achha likha hai 💐
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दीपांशी ठाकुर
20-Dec-2021 11:09 PM
Shuruat to good h
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Arshi khan
19-Dec-2021 11:24 PM
Achchi shuruat h
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